1968 की जुलाई में एक लड़का रामपुर-सहसवान गायकी घराने में जन्मा था. ये गायकी ग्वालियर घराने के काफी क़रीब मानी जाती है. चाचा दादा और यहां तक उसके नाना भी शास्त्रीय संगीत के उस्ताद लोग थे. लेकिन उस लड़के को गायकी पसन्द नहीं थी. रियाज़ उसे चिढ़ाता था. सात साल की उम्र में उसने अपनी मां को खो दिया. इस घटना ने उसके जीवन को ऐसा बदला कि संगीत के प्रति उस बच्चे की चिढ़ ना जाने कहां चली गई. चाचा के साथ मुम्बई आ गया. संगीत की ट्रेनिंग शुरू हुई. दिन भर में घण्टों रियाज़ और साथ में स्कूल की पढ़ाई. मुश्किल था लेकिन उसने इसे आसान किया और फिर 11 साल की उम्र में उसने अपने जीवन की पहली परफॉर्मेंस दी. दिल्ली आईटीसी में हुए इस प्रोग्राम में बड़े बड़े उस्तादों ने इस लड़के की परफॉर्मेंस पर खड़े हो कर ताली बजाई थी. दीगर बात है कि वो लड़का आगे चलकर राशिद खान कहलाया. संगीत की दुनिया उसे उस्ताद राशिद खान कहती है. सुनिए उस्ताद राशिद खान की पूरी कहानी 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में.
प्रोड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्स - नितिन रावत
तिहाड़ में दसवीं पास करने वाले CM की कहानी!: नामी गिरामी, Ep 284