ये साल 1999 का अक्टूबर महीना था. घड़ी में शाम के पाँच बजे थे. कराची का आसमान भयंकर बारिश और तूफान के बाद कुछ देर पहले ही साफ हुआ था. एयरपोर्ट पर कोलंबो से आया एक जहाज लैंडिंग की परमिशन मांगते हुए चक्कर लगा रहा था. फ्यूल खत्म होने को था लेकिन इजाजत नहीं मिल रही थी. ये उस ड्रामे की शुरुआत थी जो थोड़ी देर बाद पूरे पाकिस्तान में खेला जाना था. सरकार और सेना के बीच. इस जहाज को न उतरने देने का आदेश खुद मुल्क के प्रधानमंत्री ने दिया था, और विमान में देश का सेनाप्रमुख बैठा था. पाकिस्तान को जानने वाले समझते हैं कि वहाँ सेना अध्यक्ष का रुतबा क्या होता है. लैंडिंग की चाहत में विमान कराची से बाहर भी हो आया था मगर कोई भी उसे रनवे पर नहीं उतरने दे रहा था. ढाई घंटों तक अपने ही देश के आसमान में चक्कर काटने के बाद आखिरकार ये कराची में ही उतरा लेकिन तब तक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गिरफ्तार किये जा चुके थे. शाम ढलते ढलते और रात के गहराते एक बार फिर पाकिस्तान तख्तापलट का शिकार हो गया. सेनाअध्यक्ष परवेज़ मुशर्रफ ने शरीफ़ सरकार को किनारे किया और खुद गद्दी पर जा बैठे. विमान में बैठे इस शख़्स का नाम था,परवेज़ मुशर्रफ़. और पाकिस्तान की ये शाम सेना प्रमुख को राष्ट्र प्रमुख बनते देख रही थी. कैसे पाकिस्तान के एक जनरल ने पाकिस्तान में तख्तापलट कर दिया,ऐसा क्या हुआ जो ये नौबत आई और कारगिल में मुशर्रफ का क्या रोल था? सुनिए पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ की कहानी नामी-गिरामी के लेटेस्ट एपिसोड में.
प्रड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी
निर्मला नागपाल से डांस क्वीन कैसे बनी सरोज खान?: नामी गिरामी, Ep 228
यासिर अराफ़ात, सच्चे फ़िलिस्तीनी या गद्दार?: नामी गिरामी, Ep 222