एक शायर था. दुनिया उसे मां पर कहे शेरों से जानती थी. मुहाजिर उसके मुहाजिरनामा के शेर पढ़ कर खुश होते थे. सरकारें उसे इनाम देती थीं. विवाद से उसका नाता भी था. लेकिन आज के 8 बरस पहले उसने तय किया कि वो कोई सरकारी सम्मान या पुरस्कार नहीं लेगा.और ताज़िन्दगी उसने इसे फॉलो भी किया क्योंकि उसे लगता था कि हुकूमत और ये समाज कमज़ोरों के साथ ज्यादती कर रहे हैं. उर्दू का ये शायर हिंदी के काशीनाथ सिंह के साथ कंधा मिला कर खड़ा था और बगावत की लौ को तेज़ कर रहा था.दुनिया उसे मुनव्वर राना के नाम से जानती है. सुनिए मुनव्वर राणा की जिंदगी के सुने-अनसुने किस्से 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में.
प्रोड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्स - सचिन द्विवेदी
Princess Diana को हनीमून पर ही मिला बेवफाई का सबूत?: नामी गिरामी, Ep 301