ये साल 1952 था. देश ग़ुलामी से तो निकल चुका था लेकिन देश की एक बड़ी आबादी के सामने सवाल अब भी वही थे. क्या खाएं और कहाँ से लाएं. दस साल पहले ही बंगाल में अकाल ने 30 लाख लोगों को भूख से मारा था और चर्चिल लोगों से कम बच्चे पैदा करने की अपील कर रहा था. अब देश में गांधी का स्वराज तो आ गया था लेकिन ये स्वराज रोडमैप तलाश रहा था. ठीक इसी वक्त भारत की राजधानी दिल्ली से तकरीबन 12 हजार किलोमीटर दूर विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में एक भारतीय युवा अपनी रिसर्च पूरी कर चुका था. उसकी रिसर्च फसलों पर थी. उसे यूनिवर्सिटी ने असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जॉइन करने का ऑफर दिया. लेकिन उस युवा ने बड़ी शालीनता से ये ऑफर ठुकरा दिया. उसने कहा कि मैं यहाँ केवल पढ़ने आया हूँ ताकि यहाँ से पाए ज्ञान को मैं अपने देश वापस जा कर खर्च कर सकूँ.भारत लौटे इस युवा की कहानी यहीं तक नहीं थी. यहाँ से ये कहानी शुरू हुई. और ये कहानी भारत की उस क्रांति तक गई जो लोगों के पेट भरने के लिये एक जरूरी उपक्रम थी. आप और हम जिसे हरित क्रांति या ग्रीन रिवॉल्यूशन के नाम से जानते हैं. इस युवा का नाम था – डॉक्टर एमएस स्वामीनाथन. भारत में ग्रीन रिवॉल्यूशन के जनक कहे जाने वाले स्वामीनाथन. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में सुनिए स्वामीनाथन की पूरी कहानी.
प्रोड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्स - कपिल देव सिंह
'जंगली’ एक्टर जिसने सिनेमा को सिखाया ‘Twist’: नामी गिरामी, Ep 275