साल 1940 का वो जून महीना था. शहर था महाराष्ट्र का नागपुर. इसी शहर के एक मोहल्ले में इतिहास चुपके से घटने वाला था. बहुत छोटे से कमरे में दो लोग मौजूद थे. एक बुजुर्ग और बीमार था . दूसरा जवान और तंदरुस्त. बीमार आदमी पेशे से डॉक्टर था और दूसरा प्रोफेसर. थोड़ी सी बातचीत के बाद बिस्तर पर लेटे हुए उस बुजुर्ग ने जवान आदमी को चिट्ठी पकड़ाई. चिट्ठी में लिखा था- इससे पहले तुम मुझे डॉक्टरों के हवाले करो,मैं तुम्हें कहना चाहता हूँ कि अब से इस संगठन को चलाने की जिम्मेदारी तुम्हारी होगी. इसके थोड़े ही देर बाद बुजुर्ग को अस्पताल ले जाया गया. अगले दिन 21 जून को पूरे नागपुर में उनके निधन की खबर फैल गई. ये थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर केशवराम बलिराम हेडगेवार जिन्हें स्वयंसेवक आदर से डॉक्टर साहब कहते थे और उन्होंने जिन्हे अपना उत्तराधिकार सौंपा था वो थे 34 साल के फिजिक्स प्रोफेसर माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर. संघ के दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर जिन्हें उनकी किताब We or Our Nationhood Defined के आधार पर कोई हिन्दू राष्ट्रवाद का प्रणेता कहता है तो कोई उनकी दूसरी किताब Bunch of thoughts के आधार पर नफरत का मसीहा. सुनिए ‘नामी गिरामी’ के इस एपिसोड में माधव सदाशिव राव गोलवलकर की कहानी.
प्रोड्यूसर – रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्स – सचिन द्विवेदी
Princess Diana को हनीमून पर ही मिला बेवफाई का सबूत?: नामी गिरामी, Ep 301