साल 1970. देश को आजाद हुए 23 साल बीत चुके थे. आजादी के बाद के वादे पूरे न होने से एक निराशा जन्म चुकी थी, और इसी निराशा से जन्मा था एंग्री यंग मैन का किरदार जो परदे पर सिस्टम से लड़ता था. सरकारें खुले में शौच रोकने के लिए जुर्माने लगा रही थीं या पोस्टर. उसी वक्त बिहार के वैशाली ज़िले से एक इंसान निकलता है और महज 50-60 रुपयों के सहारे पूरे देश में शौचालय बनाने का उपक्रम बनाने का सपना देखता है. साल 2023 में वो इस दुनिया को अलविदा कह देता है. लेकिन बीच के इन 53 सालों में वो शौचालयों का एक पूरा सेटअप तैयार कर चुका होता है. सुलभ नाम का उसका ये उपक्रम देश भर के हर शहर और हर गली में वाकई सुलभ बन जाता है. इस शख्स का नाम है बिन्देश्वर पाठक जिसने सुलभ इंटरनेशनल नाम की संस्था को जन्म दिया. दुनिया उसे टॉयलेट मैन के नाम से जानती है. सुनिए 'नामी-गिरामी' में.
प्रोड्यूसर - रोहित अनिल त्रिपाठी
साउंड मिक्स - नितिन रावत