पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले एक लड़के ने बतौर शायर बहुत ही कम उम्र में एक ऐसी ग़ज़ल लिख दी जो उसके नाम का पर्याय बन गयी. एक लड़का जिसकी शायरी को लेकर कभी उर्दू के हस्ताक्षर जोश मलीहाबादी ने कहा था, "मुझे इस लड़के से बड़ी उम्मीद है". हैदराबाद में पैदा हुआ वो लड़का आगे चलकर नामचीन शायर बना और नसीर तुराबी के नाम से मक़बूल हुआ. 10 जनवरी, 2021 को कराची में 75 वर्ष की उम्र में नसीर तुराबी का इंतकाल हो गया. नामी-गिरामी में उन्हें याद कर रहे हैं अमन गुप्ता.
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Princess Diana को हनीमून पर ही मिला बेवफाई का सबूत?: नामी गिरामी, Ep 301