रमाशंकर यादव विद्रोही यानि ऐसा तूफ़ान जो इंसानी शरीर में सिमटा हो. रूढ़ियों के घाट से टकराने वाली शब्दों की एक बेतहाशा लहर. क्रांति और कविता के बीच का पुल. विद्रोही की कविताएं केवल शब्द नहीं एक चुनौती भी थी. एक सवाल और अक्सर एक मुंहतोड़ जवाब भी. उनकी कविता की ऐसी शैली, जैसे कोई किसान हल चलाते हुए आसमान से सवाल कर रहा हो. जो दुनिया की किसी भी परिभाषा में बंधने को तैयार न हो. जिसके पास न कोई अपना ठिकाना हो न कोई व्यक्तिगत स्वार्थ. सुनिए रमाशंकर विद्रोही की पूरी कहानी.
'जंगली’ एक्टर जिसने सिनेमा को सिखाया ‘Twist’: नामी गिरामी, Ep 275