एक शायर जिसकी दरख्तों पर इश्क़ लिखा मिलता था, जिसकी ज़बान पर उल्फ़त के चराग़ जला करते थे. जिसकी जुल्फों में मुहब्बत के परचम लहराते थे, जिसके कमरे में ग़ज़लें गश्त लगाती थीं. जिसकी कलम शेर उगलती थे. जिसको अंधरों से इश्क था और जो उजाला देख कांप जाता था. कभी ज़ुल्फ़ों को चेहरे से झटक कर शेर सुनाता था. कभी रो पड़ता था. कभी मोहब्बत के पहलुओं को समेटते हुए महफ़िल को लूट लिया करता था. वो जौन एलिया था. सुनिए नामी गिरामाी का ये ख़ास एपिसोड जमशेद क़मर सिद्दीक़ी के साथ.
प्रोड्यूसर- सूरज कुमार
साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी
Princess Diana को हनीमून पर ही मिला बेवफाई का सबूत?: नामी गिरामी, Ep 301