अपने गीतों में गुलज़ार मानवीकरण की जो शैली अपनाते हैं वे उन्हें अलहदा बनाती है. उनके गीतों में बिम्ब लगातार बोलते चले जाते हैं. उनके लेखन का फ़लक गीत, शायरी, फिल्म निर्देशन, पटकथा संवाद लेखन, कहानी से लेकर बाल साहित्य और अनुवाद तक विस्तृत है. आख़िर ऐसा क्या है कि गुलज़ार हर पीढ़ी को छू जाते हैं, सुनिये आज तक रेडियो की इस पॉडकास्ट में अंजुम शर्मा के साथ. इस प्रस्तुति की साउंड-मिक्सिंग की है तिलक भाटिया ने.
Princess Diana को हनीमून पर ही मिला बेवफाई का सबूत?: नामी गिरामी, Ep 301