ये वक्त उन्नीसवीं शताब्दी के अंत का था. ब्रिटेन भारत पर अपनी पकड़ पूरी तरह से बना चुका था. छोटी छोटी बग़ावतें हो तो रही थीं मगर इतनी नहीं कि ब्रिटिश शासन को डिगा सके. ये वही वक्त था जब भारत में ब्रिटिश अफसरान के घरों के बाहर वो बोर्ड बड़े आम हो चुके थे जिसपर लिखा होता था इंडियंस एण्ड डॉग्स आर नॉट अलाउड. इसी वक्त में एक शख्स बॉम्बे प्रेसिडेंसी से निकल कर ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स का मेम्बर बनता है. ताकि भारत की व्यथा,भारतीयों की तकलीफ उन्हें सुना सके। और वहाँ की संसद में चीख कर कहता है ब्रिटिश शासन भारतीयों के लिए एक दुष्ट शासन है जिसे जितनी जल्दी हो भारत भारतीयों को सौंप देना चाहिए. इस शख्स का नाम था दादाभाई नौरोजी. ग़ुलाम भारत के पहले नेता. जिन्हें कभी महात्मा गांधी ने राष्ट्रपिता कहा था. सुनिए दादाभाई नौरोजी के सुने अनसुने किस्से नामी गिरामी में.
यासिर अराफ़ात, सच्चे फ़िलिस्तीनी या गद्दार?: नामी गिरामी, Ep 222