चुनाव को लोकतंत्र का पर्व कहा जाता है.. पर ये महंगा पर्व भी है क्योंकि चुनाव करवाने में काफी खर्च भी आता है. हर चुनाव के बाद चुनाव आयोग ये पता करता है कि प्रति वोट कितना खर्च आया. कैसे तय किया जाती है per vote cost, उसकी कैलकुलेशन में कौन कौन से खर्चों को शामिल किया जाता है, आज़ादी के बाद हुए पहले चुनावों में प्रति वोट का खर्च कितना था और अब कितना हो गया है. इस सब के बारे में बात करेंगे आज के इस चुनावी स्पेशल एपिसोड में. सुनिए गर्वित से
WhatsApp आपकी चैट्स प्राइवेट कैसे रखता है?: ज्ञान ध्यान, Ep 964