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रेफ़रेंडम के नुक़सान, अच्छे केले की पहचान और रिपब्लिक की क़िस्में : तीन ताल Ep 67

रेफ़रेंडम के नुक़सान, अच्छे केले की पहचान और रिपब्लिक की क़िस्में : तीन ताल Ep 67

तीन ताल के 67वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:

-तीसरी लहर में कोविड की गिरफ़्त में सरदार. किस बाइसिकल की घंटी से बाबा को डरने की ज़रूरत.

-आप दिन में कितना पैदल चलते हैं? ताऊ ट्रेडमिल पर दौड़ने के क्यों ख़िलाफ़. अनजान शहरों को देखने का तरीका.

-बाबा को जब ताऊ में समाजवादी सौष्ठव दिखा. यूपी की सभी पार्टियों में छिपा 'पा'. 

- आम आदमी पार्टी की रेफरेंडम पॉलिटिक्स के मायने. जनमत संग्रह क्यों आरती संग्रह जैसा.

- रेफ़रेंडम में कितनी डेमोक्रेसी और कितनी अराजकता. हिटलर, ब्रिटेन और स्विट्ज़रलैंड के अनुभव.

- रिपब्लिक डे पर सरदार का सिंहावलोकन. 'गनतंत्र' बनाम गणतंत्र? ताऊ और बाबा ने गणतंत्र दिवस परेड और झांकियों को क्यों बेमानी बताया.

- तीन ताल वालों को क्यों केला पसन्द. अच्छा केला कैसे चुने. केले की किस्मों का आनन्द.

-बिज़ार ख़बर में लिवर पर हस्ताक्षर करने वाले डॉक्टर साहब से बाबा की सहानुभूति. ताऊ, बाबा और सरदार ने किससे ऑटोग्राफ लिया.

-ताऊ ने क्यों भारत में हस्ताक्षर को एक समस्या बताया. सरदार का लोन डॉक्यूमेंट पर साइन करने का अनुभव. सिग्नेचर, हस्ताक्षर और दस्तख़त के सुंदर फ़ोनेटिक्स.

-और आख़िर में तीन तालियों की चिट्ठी और प्रतिक्रियाएं.

प्रड्यूसर ~ शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग ~ अमृत रेगी.

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