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क़िबला काबा ईमान भी तू | स्टोरीबॉक्स | EP 13

क़िबला काबा ईमान भी तू | स्टोरीबॉक्स | EP 13

"पाकिस्तान से ट्रेनें भर-भर के लौटती थीं, लेकिन फ्लैटफॉर्म पर ख़ड़ी बन्नों बुआ के हिस्से में सिर्फ इंतज़ार आता था। अम्मी हर साल एक ख़त बन्नों बुआ के नाम से लाहौर भेजती रहीं लेकिन बन्नों बुआ की आख़िरी अधूरी हसरत उनकी कब्र के किनारे उगे एक सफेद फूल बनकर आज भी महकती है" सुनिए आज़म क़ादरी की लिखी कहानी - 'क़िबला काबा ईमान भी तू' सिर्फ स्टोरीबॉक्स पर.

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