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मीरपुर के पीर साहब | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद

मीरपुर के पीर साहब | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद

मीरपुर के उस जलसे में मुझे स्टेज पर भेज दिया गया और दर्जनों लोग स्टेज पर आकर मुझसे गले लग कर जा रहे थे तभी मुझे मेरी जेब हलकी महसूस हुई. देखा तो कोई मेरा बटवा मार गया था. पैसे खोने का अफसोस नहीं था, डर इस बात का था कि बटुवे में रखा मेरे भाषण वाला पर्चा भी चला गया. सामने पांच हज़ार लोग थे। समझ नहीं आ रहा था कि अब बोलूं तो बोलूं क्या - सुनिए पतरस बुखारी की लिखी एक कहानी का हिस्सा - 'मीरपुर के पीर' जमशेद कमर सिद्दीक़ी से

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