ट्रेन खिसकना शुरु हो गयी थी। मेरी बीवी रौशन आरा ने कहा, "अपना ख्याल रखिएगा, फोन करते रहिएगा" मैंने कहा "हां" मेरा मन भारी हो रहा था। ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली हमने एक दूसरे की आंखों में देखा और फिर वो धड़धड़ाती ट्रेन में चली गयी। मैं भारी कदमों से स्टेशन के बाहर आया घर की तरफ चलने लगा पर तभी अंदर से एक आवाज़ आई। जब कहीं भी जा सकते हैं तो घर ही क्यों जाएं, एक शैतानी मुस्कुराहट चेहरे पर चमक रही थी। सुनिए स्टोरीबॉक्स में पतरस बुखारी की कहानी - मैं एक पति हूं.