गर्वित और वैष्णवी की शादी को दो साल भी नहीं हुए थे कि वैष्णवी को न जाने क्यों लगने लगा कि गर्वित उसे अब उस तरह नहीं चाहता जैसे शादी के पहले चाहता था। क्या हर रिश्ते का अंजाम यही होता है? क्यों वक्त की धूप में इश्क़ के चटक रंग खुरदुरे हो जाते हैं? मिस्र जाने की ख्वाहिश पाले वैष्णवी के सपने क्या पूरे हो पाएंगे? सुनिए कहानी - 'हम रहे न हम' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.