मेरे अब्बा को पता नहीं किसने बता दिया था हॉस्टल बहुत बुरी जगह होती है। उनको लगता था कि हॉस्टल गुनाहों की एक दोज़ख होती है। हॉस्टल में रहने वाले लड़के नशे में चूर सड़कों पर मिलते हैं या जुए खानों में। इसलिए लाहौर में हमारे एक दूर के मामू ढूंढे गए। और फर्ज़ी क़िस्सों से ये साबित किया गया कि जब मैं बच्चा था तो वो मुझे बहुत चाहते थे। मामू के बारे में मैंने पता किया तो मालुम चला कि उनके यहां रहने वाले लड़कों के बाल कैसे होंगे, कोट कितना लंबा होगा से लेकर किससे मिलना है और किससे नहीं, ये भी मामू ही तय करते थे - सुनिए पतरस बुखारी की लिखे मज़मून का एक हिस्सा स्टोरीबॉक्स में.