खां साहब स्टैनली रोड पर आराम से खड़े गाड़ियों का चालान कर रहे थे कि उसी वक्त एक तेज़ रफ़्तार गाड़ी आई और उन्हें ठोकती हुई रुक गयी। खां साहब के चेहरे पर गुस्सा था लेकिन तभी एक मोहतरमा कार से निकलते हुए बोलीं, "आपको चोट तो नहीं लगी" खां साहब बोले, "नहीं, नहीं ऐसी कोई बात नहीं, ये तो हमारी खुशक़िस्मती थी कि हम यहां खड़े थे" सुनिए भगवती चरण शर्मा की कहानी 'वरना हम भी आदमी थे काम के' स्टोरीबॉक्स में.