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दो घरों के दरमियां | स्टोरीबॉक्स | EP 22

दो घरों के दरमियां | स्टोरीबॉक्स | EP 22

दिसंबर की गुनगुनी धूप में सड़क के इस किनारे से उस किनारे तक बने मकानों की परछाइयां एक-दूसरे के कंधों पर सर टिकाए थीं। धूप मकानों के चेहरों को यूं छू रही थी जैसे देर से घर लौटी कोई मां... अपने बच्चों का माथा चूमती है। उस सड़क के दो मकानों के बीच एक छोटी सी खिड़की थी, जहां से ज़ायके, खुश्बुएं, तहज़ीब और ज़बान आती जाती थी। लेकिन क्यों एक रोज़ ये सब ख़त्म हो गया? क्यों इशिता और अभिजीत के इश्क़ के बीच ख़ामोशी की दीवार खड़ी हो गयी.... सुनिए कहानी 'दो घरों के दरमियां' स्टोरीबॉक्स में, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.

साउंड मिक्सिंग - नितिन रावत 

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