पाकिस्तान की सत्ता में चाहे भुट्टो आएं, शरीफ आएं या इमरान खान लेकिन फ़र्क़ ज़्यादा नहीं पड़ता. ये देश डेमोक्रेसी को तरसता ही रहता है. फौज और फॉरेन ताकतें इसके लोकतंत्र को खाती रहती हैं मगर दीमक कई तरफ से लगी है, उन्हें ही 'पढ़ाकू नितिन' में नितिन ठाकुर के साथ टटोल रहे हैं इंटरनेशनल अफेयर्स के आला जानकार प्रकाश के रे.
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