कस्तूरबा हमेशा महात्मा गांधी के साथ साये की तरह रहीं. वो जब जेल में होते तो भी बाहर संघर्ष करती रहीं लेकिन नायक की परछाईं में कई बार बाकी लोग छिप जाते हैं. कस्तूरबा भी छिप गईं. पढ़ाकू नितिन के इस ऐपीसोड में कस्तूरबा के पड़पोते तुषार गांधी उन्हें भावुक होकर याद कर रहे हैं. एक 'गांधी' होने के नाते वो क्या महसूस करते हैं ये भी बता रहे हैं, और गांधी जी के प्रयोगों एवं प्रेम प्रसंगों पर कस्तूरबा क्या कहती थीं वो भी सुना रहे हैं.
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Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
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