तीन ताल के 35वें एपिसोड में कमलेश ‘ताऊ’, पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार’ से सुनिए:
- कोरोना की स्थिति में सुधार और बदलते मौसम से राहत मिल रही है या नहीं? बारी-बारी से कोड़े और प्याज की सज़ा के फेर में फंसे आदमी की कहानी और बेमौसम बारिश के सुख-दुख.
- बाबा ने क्यों कहा कि क्लबहाउस और ट्विटर स्पेसेस पर ध्यान से थूकना चाहिए. विवादों से बचने के ताऊ के टिप्स.
- घाघ पत्रकारों ने कैसे मीना कुमारी फंसाया. बोलने की बीमारी और गधों को घाट तक पहुँचाकर पानी पिलाने वाले लोग.
- बात फरीदाबाद पुलिस के ट्विटर अकाउंट की, जो पुलिस कार्रवाई की सूचना मज़ाकिया छौंक लगाकर देता है. इसी बहाने पुलिस वालों के सेंस ऑफ ह्यूमर के किस्से. ताऊ के मुंह से दो-चार हरियाणवी बातें.
- बाबा के ढाबा केस से हमें क्या शिक्षा मिलती है? पनियल पनीर की सीमाएं और ताऊ ने क्यों कहा कि मैं 'भायरल' के पीछे नहीं भागता'.
- 'साड्डा जीवन, उच्च बिज़ार' में बात 'जॉइंट फ़ॉर जैब' वाले देश 'अमरिक्का' की. वैक्सीन की हिचक भारत में कैसे मिटेगी, बाबा के पास एक आइडिया है, जिसके बाद लोग रगड़ के वैक्सीन लगवाएंगे.
- फ्रेंच राष्ट्रपति को पड़े थप्पड़ के बहाने थप्पड़ की शास्त्रीय विवेचना. हिंसा की पहली अभिव्यक्ति थप्पड़ कैसे बना? थप्पड़ और लप्पड़ का फर्क. ताऊ और बाबा के बचपन के किस्से और लाफ़ा मारने की सही तकनीक. ताऊ ने क्यों कहा कि थप्पड़ का सलीका ग्रामीण महिलाओं को है, शहर वालों को नहीं.
- फैमिली मैन के सीजन 2 पर बात. ताऊ ने क्यों कहा कि सबके जीवन में 'चेल्लम सर' हों न हों, जेके ज़रूर होना चाहिए. श्रीकांत तिवारी को याद करते हुए यंग मैनेजर्स और उम्रदराज़ कर्मचारियों के लिए टिप्स.
- और 'न्योता वाले श्रोता' में जम्मू कश्मीर के एक गांव से आई लिसनर अरपना चंदेल की चिट्ठी पर बात और तीन ताल के तिकड़ी का माफीनामा.
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