scorecardresearch
 
Advertisement
नए साल पर ज्ञान के मोती, पुरातन बिहार के क़िस्से और मैं बनाम हम: तीन ताल, Ep 64

नए साल पर ज्ञान के मोती, पुरातन बिहार के क़िस्से और मैं बनाम हम: तीन ताल, Ep 64

तीन ताल के 64वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए:

-इस न्यू ईयर में कितना उत्साह. नए साल की शुरुआत ताऊ के words of wisdom के साथ. 

- जीवन में दर्शक कैसे बने रहें? ताऊ क्यों नहीं लेते राजनीति की खेमेबाज़ी में हिस्सा. जाति का उन्मूलन क्यों दूर की कौड़ी.

-मरना हो तो ऐसे मरें. ज़लज़ले के समय क्या कर रहे होंगे ताऊ, बाबा और सरदार.

-तेज प्रताप यादव के यूट्यूब चैनल के बहाने पुरातन बिहार के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक हालात के क़िस्से.

- बिहारियों में IAS बनने की उत्कंठा का कारण क्या है. वर्णिम इतिहास से ‘बिहारी’ एक गाली तक का क्रम.

- मध्यप्रदेश के बीजेपी सांसद 'जॉन जानी जनार्दन' के एक बयान के बहाने भ्रष्टाचार को लीगलाइज करने की मांग. ताऊ ने डेमोक्रेसी का आधार भ्रष्टाचार क्यों बताया. 

- प्रधानमंत्री की महँगी मेबाक कार के पक्ष में क्यों हैं ताऊ?

- मैं और हम की शंका का समाधान क्या. मुझे, मुझको और मेरे को की समस्या. साथ ही, तुम से लेकर तू तकाड़ तक का समाज, शायरी और गीतों में इनके इस्तेमाल पर बतरस.

- बिज़ार ख़बर में महिला इंजीनियर की समस्या जिनका दावा है कि उनकी टिफिन अदृश्य शक्ति खा जाती है. 

-और आख़िर में तीन तालियों की चिट्ठियाँ. इस बहाने अच्छे सिनेमा की निशानी और फीचर मोबाइल रखने वालों की तक़लीफ़.

प्रड्यूसर ~ शुभम तिवारी
साउंड मिक्सिंग ~ अमृत रेगी.

Advertisement
Listen and follow तीन ताल