"लंबी जुदाई... चार दिनों दा..." इस नग़्मे में लिपटी आवाज़ सरहदों के पार हिंदुस्तान और पाकिस्तान की साझा विरासत है. राजस्थान में पैदाइश से लेकर लाहौर में वफ़ात के बीच रेशमा ने जो किया वो उनके जाने के बाद भी उनकी मौजूदगा का एहसास करवाता रहेगा. आज तक रेडियो की पॉडकास्ट सीरीज़- ग़ज़ल साज़ में सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से कुछ क़िस्से और कुछ गज़लें मशहूर सिंगर रेशमा की आवाज़ में.
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सौ साल पहले की महिला कलाकारों का संघर्ष हमसे बहुत बड़ा था : S9, Ep 7